दतिया / भले ही बकरियां शारीरिक आकार में छोटी होती हैं, लेकिन वे आज ग्रामीण अंचल में समाज का आर्थिक बन गई हैं।
दतिया से करीब दस किलोमीटर दूर ग्राम मुरैरा में साल भर पहले स्वसहायता समूह से दस हजार रूपये का कर्ज लेकर दो बकरियों से बकरी डेयरी की शुरूआत करने वाली किरण की बकरियों की संख्या आज बढ़कर चार बकरियां हो गई हैं। इनके दूध और जैविक खाद से अच्छी आय हो रही है। कहने को तो किरण के पति एक प्रायवेट संस्थान में माली का काम करते हैं, लेकिन उनकी आमदनी से घर का खर्च चलाना मुश्किल था। इस आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए वह स्वयं का व्यवसाय होने का सपना देखा करती थीं। मगर दो साल पहले सरकार के मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन ने अम्बेडकर आजीविका स्वसहायता समूह गठित कर उसमें किरण को शामिल कर समूह से वित्तीय मदद दिलवाकर बकरी पालन व्यवसाय को शुरू कराया, तब से हालात बदलने शुरू हुए। इस मदद से किरण की पारिवारिक स्थिति में बदलाव दिखलाई देता है। बकरी पालन शुरू करते समय किरण ने यह सोचा ही नहीं था कि वह आजीविका चलाने लायक कमाई कर सकती हैं और उनकी गांठ में चार पैसे हो जाएंगे। इससे आगे चलकर उन्हें और अच्छी कमाई होने की संभावना है। किरण खुश होते हुए कहती हैं,‘‘ पैसे हाथ में आने से अब अच्छी तरह खा-पी रहे हैं।‘‘ ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक श्रीमती संतमती खलको कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के लिए बकरी पालन व्यवसाय लाभदायक है।
किरण के लिए रोजगार का जरिया बनीं बकरियां (सफलता की कहानी)
किरण के लिए रोजगार का जरिया बनीं बकरियां (सफलता की कहानी)